प्राचीन मदीना के मोरक्कन कारीगरों ने कला को दोहरी वैधता प्रदान की। हाथों की वह कला जो असाधारण वस्तुओं को जन्म देती है। और शब्दों की कला जिसने एक कोष बनाया है जो मल्हौन का बहुत सार है। "यौगिक" कोई कह सकता है, लेकिन सभी संगीत एक रचना है। लेकिन शायद यही वह संगीत है जो रोज़मर्रा के शब्दों से बनता है। ये शब्द न तो विद्वतापूर्ण हैं और न ही सीखे हुए, कम विद्वतापूर्ण भी, लेकिन एक भ्रमित करने वाली द्वंद्वात्मक सरलता के हैं। सब कुछ वहाँ जाता है: प्रेम, स्त्री, प्रकृति, आभूषण, वसंत, गैस्ट्रोनॉमी, दुख, पीड़ा, आनंद, विश्वास, आदि। सब कुछ सुख और आनंद के ट्रेबचेट में तौला जाता है। एक खुला, जिज्ञासु, सहिष्णु और सबसे बढ़कर अनोखी दुनिया। मेकनेस, सेल, फ़ेज़, माराकेच, अल्जीयर्स, त्लेम्सेन आदि। ये सभी शहर आज भी भाईचारे और प्रेम के इस संगीत से गूंजते हैं।
टिप्पणियाँ (0)