संगीत जैज रेडियो - आत्मा खातिर जैज।
मोका के बर्तन से उठत कॉफी के आवाज, गाड़ी के हुड पर बरखा के धड़कन, अचानक भाव के धड़कन, ओह बेर रउरा काइंड ऑफ ब्लू सुननी आ मन ही मन कहनी «हम कबो अइसन कुछ नइखीं सुनले» भा... «आह लेकिन तब ई जाज ह» आ रउआ अपना के नोट से बह जाए देनी।
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