गीत, संगीत, संदेश के... बेतरतीब ना, बेमतलब ना, लापरवाही से ना... हर गीत एगो मुहावरा ह... हर शो में एगो कबूलनामा... हर छंद के एगो रोवाई... ई ह क्रेते रेडियो ह का रउवा बाहर जाके पूरा दुनिया के चिल्लाए के चाहत बानी, लेकिन उहो जवन रउवा भीतर से गहिराह छिपावल चाहत बानी ताकि केहू के पता ना चले!.
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