क्वासर रेडियो प्लेयर के साथ दुनिया भर के रेडियो स्टेशन ऑनलाइन सुनी
लातविया में लोक संगीत के एगो समृद्ध आ जीवंत इतिहास सदियन से चलल आ रहल बा। ई देश के सांस्कृतिक धरोहर में गहिराह जड़ जमा लेले बा आ एकरा के पारंपरिक गायन, नृत्य आ वाद्य संगीत के माध्यम से मनावल जाला। लातवियाई लोक संगीत में देश के बिबिध क्षेत्र सभ के झलक मिले ला, हर क्षेत्र के आपन बिसेस शैली आ परंपरा बा।
लातविया के सबसे लोकप्रिय लोक समूहन में से एगो बा "इलगी"। ई समूह 1970 के दशक के बीच से चल रहल बा आ पारंपरिक लातवियाई लोकगीत सभ के रचनात्मक ब्यवस्था खातिर जानल जाला। ई लोग लातविया के एगो परंपरागत वाद्ययंत्र बैगपाइप में खासतौर पर निपुण बा। एगो अउरी लोकप्रिय समूह बा "Iļģi." इनहन के संगीत में परंपरागत वाद्ययंत्र जइसे कि कोक्ले (लातवियाई ज़िथर), बैगपाइप, आ वायलिन के इस्तेमाल होला। ई लोग पूरा यूरोप आ उत्तरी अमेरिका में कई गो लोक उत्सव में आपन प्रस्तुति दे चुकल बा।
लातवियाई रेडियो 2 लातविया में लोक संगीत बजावे वाला मुख्य रेडियो स्टेशन सभ में से एक हवे। ई स्टेशन लोक संगीत के समर्पित कई तरह के कार्यक्रम पेश करेला जवना में लाइव प्रस्तुति, कलाकारन से साक्षात्कार आ आवे वाला आयोजनन के खबर शामिल बा. एकरे अलावा, हर पाँच साल पर होखे वाला लातवियाई लोक महोत्सव लातवियाई सांस्कृतिक कैलेंडर में एगो प्रमुख आयोजन हवे। एहमें देश भर के कलाकारन के एकजुट कइल जाला आ लातविया के लोक संगीत आ नृत्य के बेहतरीन प्रदर्शन कइल जाला.
निष्कर्ष में कहल जा सकेला कि लातवियाई संस्कृति में लोक संगीत के एगो खास जगह बा, आ एकर लोकप्रियता बढ़ रहल बा। अपना अनोखा ध्वनि आ शैली के साथ ई लातविया आ ओकरा लोग खातिर गर्व के विषय बनल बा। लोक संगीत के समर्पित सबसे लोकप्रिय कलाकार आ रेडियो स्टेशन एह विधा के बढ़न्ती आ प्रचार में योगदान देला, जवना से आवे वाली पीढ़ियन के आनंद लेबे खातिर एकरा के जिंदा राखल जाला.
लोड हो रहल बा
रेडियो बाजत बा
रेडियो रुक गइल बा
स्टेशन फिलहाल ऑफलाइन बा